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  • 1858 ई. में हरियाणा का अधिकांश हिस्सा पंजाब राज्य में शामिल कर दिया गया था।
  • वर्ष 1925 में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के दिल्ली अधिवेशन की स्वागत समिति के अध्यक्ष परिजादा मोहम्मद हुसैन ने हरियाणा क्षेत्र को पंजाब से निकालकर दिल्ली में मिलाने की माँग उठाई।
  • वर्ष 1928 में दिल्ली में हुए सर्वदलीय सम्मेलन में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी इसी माँग को दोहराया।
  • 9 सितम्बर, 1932 को हरियाणा और दिल्ली के प्रख्यात राष्ट्रवादी नेता दीनबन्धु गुप्त ने हरियाणा को पंजाब से अलग करने की माँग रखी। 
  • 1946 में डॉ. पट्टाभि सीतारमैया ने अखिल भारतीय भाषायी कॉन्फ्रेन्स (दिल्ली) के सम्मुख दीनबन्धु गुप्त की माँग का खुला समर्थन किया था।
  • वर्ष 1947 में स्वतन्त्रता के बाद पंजाब का विभाजन हो गया तथा इसका पूर्वी भाग पंजाब प्रान्त कहलाने लगा।
  •  स्वतन्त्रता के कुछ ही वर्षों बाद हरियाणा क्षेत्र के लोगों में भाषा को लेकर मतभेद होने लगे।
  • हिन्दी भाषियों को अनुभव होने लगा कि पंजाब में उनकी उपेक्षा हो रही है और उन्हें समुचित महत्त्व नहीं दिया जा रहा है। 
  • पंजाब में प्रतापसिंह कैरो के शासन काल के दौरान ही हरियाणा प्रदेश की माँग उठने लगी।
  • हिन्दी भाषी क्षेत्रों में पंजाबी पढ़ाने का विरोध होने लगा। परिणामस्वरूप पंजाब के तत्कालीन मुख्यमन्त्री भीमसेन सच्चर द्वारा सच्चर फॉर्मूला लाया गया।
  • सच्चर फार्मूले के द्वारा पंजाबी क्षेत्र में सरकारी भाषा पंजाबी (गुरुमुखी लिपि) और हिंदी क्षेत्र में देवनागरी लिपि का प्रयोग होना सुनिश्चित हुआ।
  • 1 अक्टूबर, 1949 को लागू इस फॉर्मूले के अनुसार
    • रोहतक, गुड़गाँव, करनाल, काँगड़ा, हिसार जिलों तथा अम्बाला जिले के जगाधरी और नारायणगढ़ तहसील के क्षेत्रों को हिन्दी क्षेत्र में शामिल किया गया।
    • पंजाब प्रान्त के शेष भाग को पंजाबी क्षेत्र घोषित किया गया।
    • पंजाबी क्षेत्र की सरकारी भाषा पंजाबी तथा हिन्दी क्षेत्र की सरकारी भाषा हिन्दी तय की गई।
    • प्री-यूनिवर्सिटी परीक्षा तक हिन्दी क्षेत्र में हिन्दी तथा पंजाबी क्षेत्र में पंजाबी को शिक्षा का माध्यम मान लिया गया।
    •  हिन्दी क्षेत्र के प्रत्येक स्कूल में पंजाबी को तथा पंजाबी क्षेत्र के स्कूलों में हिन्दी को द्वितीय भाषा के रूप में पढ़ाया जाना आवश्यक हो गया।
  • 29 दिसम्बर, 1953 में भारत सरकार ने भाषा तथा संस्तुति के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करने हेतु सैयद फुजल अली की अध्यक्षता  में एक आयोग का गठन किया। इसीलिए यह आयोग ‘फजल अली आयोग‘ भी कहलाया है। 
  • सन् 1953 में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग ने पंजाब विभाजन की माँग भाषायी आधार पर अस्वीकार कर दी थी।  पटियाला और पूर्वी पंजाब स्टेट्स को पंजाब क्षेत्र में तथा महेन्द्रगढ़ व जीन्द को हरियाणा क्षेत्र में शामिल करने की सिफारिश की थी।
  • फजल अली आयोग ने सन् 1956 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
  • अप्रैल, 1955 में प्रदेश की सीमा निर्धारित करने हेतु रोहतक आए आयोग के समक्ष हरियाणा के कांग्रेसी विधायकों ने पृथक् हरियाणा राज्य की माँग रखी। 
  • पृथक् हरियाणा राज्य की माँग के सन्दर्भ में एक शिष्टमण्डल द्वारा तत्कालीन प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू से भी मुलाकात की गई, परन्तु ये प्रयास असफल रहे।
  • भारतीय संविधान में संशोधन होने के पश्चात राष्ट्रपति की आज्ञा से 24 जुलाई, 1956 को पंजाब सरकार ने  क्षेत्रीय फार्मूला राज्य में लागू कर दिया।
  • 1956 ई. में प्रस्तुत की फजल अली आयोग की रिपोर्ट में पंजाब प्रान्त को ज्यों का त्यों रखा गया क्योंकि आयोग का मानना था कि नए राज्यों के गठन से भाषा विवाद समाप्त नहीं होगा, अपितु दोनों भाषाओं का अहित होगा। 
  • अप्रैल, 1956 में केन्द्र सरकार द्वारा क्षेत्रीय फॉर्मूला लागू करके पंजाब प्रांत को पंजाब एवं हरियाणा दो क्षेत्रों में विभाजित कर दिया गया।
  • हिंदी क्षेत्र :   हिसार, रोहतक, गुड़गाँव, करनाल, अम्बाला जिले की अम्बाला, जगाधरी, नारायणगढ़ तहसीलें, महेन्द्रगढ़ | जिला, पटियाला जिले का कोहिस्तान क्षेत्र, जींद व नरवाना तहसीलें, शिमला एवं काँगड़ा जिले हिंदी क्षेत्र में शामिल किए गए। 
  • पंजाबी क्षेत्र :  पंजाब का शेष भाग ‘पंजाबी क्षेत्र घोषित किया गया।
  • 24 जुलाई, 1956 को इस क्षेत्रीय फॉर्मूले को  लागू कर दिया गया।
  • 1957 ई. में पंजाब में हिंदी आन्दोलन हुआ जिससे वहाँ के लोगों में पंजाबी क्षेत्र की पृथक पहचान की भावना जागृत हो गई। 
  • वर्ष 1960 में सिखों के नेता मास्टर तारा सिंह ने पंजाबी सूबे के लिए आन्दोलन शुरू कर दिया।
  • मास्टर तारा सिंह की गिरफ्तारी के बाद पुनः 1965 ई. में सन्त फतेहसिंह द्वारा पंजाब सूबे की स्थापना हेतु किए गए अनशन एवं आन्दोलन एंव हरियाणा के सभी वर्गों ने केन्द्र और राज्य सरकार से अपील की कि पंजाबी सूबे  की बात मान ली जाए।
  • 23 सितम्बर, 1965 को लोगों के दबाव में सरकार ने विभाजन के लिए सरदार हुकम सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया।
  • 23 सितम्बर, 1965 को भारत के गृह राज्य मन्त्री ने संसद के दोनों सदनों में पंजाब के पुनर्गठन के सम्बन्ध में समिति के गठन के निर्णय की घोषणा की।
  • अक्टूबर, 1965 में हरियाणा के विधायकों द्वारा रोहतक में आयोजित सभा में तीन प्रस्ताव पारित किए गए
    • एक नए हिन्दी भाषी राज्य का निर्माण किया जाए जिसमें पंजाब के हिन्दी भाषी क्षेत्र के अतिरिक्त दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान के कुछ भाग शामिल हों।
    • यदि दिल्ली, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान राज्य उपरोक्त योजना स्वीकार न करे तो पंजाब के हिन्दी भाषी क्षेत्रों को ही हरियाणा राज्य के रूप में गठित किया जाए।
    • पंजाब में पहले से निर्धारित हिन्दी क्षेत्र में काट-छाँट सहन नहीं की जाएगी।
  • संसदीय समिति की संस्तुति के आधार पर 23 अप्रैल, 1966 को जेसी शाह की अध्यक्षता में एक सीमा आयोग का गठन किया गया। इस आयोग के सदस्य थे
    •  जस्टिस जे.सी. शाह (सभापति)
    • श्री एस. दत्त
    • श्री एम.एम. फिलिप
  • सीमा आयोग द्वारा 31 मई, 1966 को प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया तथा हरियाणा में निम्नलिखित क्षेत्रों को सम्मिलित किए जाने हेतु संस्तुति की गई।
    • हिसार, महेन्द्रगढ़, गुड़गाँव, रोहतक, करनाल जिले, जींद तहसील, चण्डीगढ़ सहित खरड़ तहसील, नारायणगढ़, अम्बाला एवं जगाधरी तहसीलें। 
  • श्री एस. दत्त ने खरड़ तहसील को हरियाणा में शामिल करने के विरुद्ध मत प्रकट किया गया।
  • आयोग की संस्तुति के अनुसार पंजाब पुनर्गठन विधेयक, वर्ष 1966 को लोकसभा द्वारा 18 सितम्बर, 1966 को पारित कर दिया गया।

आयोग की सिफारिशों के अनुसार भारत सरकार ने पंजाब पुनर्गठन विधेयक ( नं. 31, 1966) 18 सितम्बर, 1966 को पारित कर दिया।

  • विधेयक के भाग-2 में सीमाओं आदि की व्याख्या की गयी, जो इस प्रकार थीं
    • निश्चित दिन से एक नये राज्य का निर्माण होगा जो कि हरियाणा कहलाएगा, जिसमें पंजाब के निम्न क्षेत्र शामिल होंगे
    • (क) हिसार, रोहतक, गुड़गाँव, करनाल और महेन्द्रगढ़ के जिले
    • (ख) संगरूर जिले की नरवाना और जींद तहसीलें
    • (ग) अम्बाला जिले की अम्बाला, जगाधरी और नारायणगढ़ तहसीलें
    • (घ) अम्बाला जिले के खरड़ तहसील का पिंजौर कानूगो सर्कल और
    • (ड़) अम्बाला जिले की खरड़ तहसील के मनीमाजरा के कानूगो सर्कल या क्षेत्र जो प्रथम परिच्छेद में अनुसूचित है। 
  • 2. उप-अनुच्छेद (ख) में वर्णित क्षेत्र से हरियाणा राज्य के अन्तर्गत जींद नाम का पृथक् जिला बनेगा।
  • 3. उप-अनुच्छेद (1) (क) (ख) (ग) (घ) और (ड़) में वर्णित क्षेत्र से अम्बाला नाम का अलग जिला बनेगा।
    • (अ) उप-अनुच्छेद (1) (घ) और (ड़) में वर्णित क्षेत्र नारायणगढ़ तहसील के भाग होंगे।
    • (आ) उप-अनुच्छेद (1) (ड़) में वर्णित क्षेत्र नारायणगढ़ तहसील के अन्तर्गत पिंजौर के कानूनी सर्कल का भाग होगा।
    • विधेयक के भाग-3 में विधान पालिकाओं के विषय में बताया गया।
    • इनके अनुच्छेद 7 में राज्यसभा के मौजूद 11 सदस्यों की बाँट और अनुच्छेद 8 में उनके चुनाव आदि का तरीका सुझाया गया है।
  • अनुच्छेद 9 में लोकसभा के सदस्यों की स्थिति के विषय में बताया गया।
  • अनुच्छेद 10 की राज्य की मौजूदा विधानसभा के सदस्यों को बाँटा गया जिसमें से 54 सदस्य हरियाणा से चुनकर गए थे वे हरियाण के हिस्से में रखे गए।
  • अनुच्छेद 14 (2) में हरियाणा के सदस्यों द्वारा अपनी इस विधानसभा का अपने में से, संविधान में बताए गए तरीके से एक अध्यक्ष चुनने की व्यवस्था की गई।
  • इसमें सबसे महत्वपूर्ण अनुच्छेद-21 था, जिसमें कहा गया था कि ‘पंजाब और हरियाणा की साँझी हाईकोर्ट होगी
  • इस विधेयक के अनुसार, 1 नवम्बर, 1966 को हरियाणा राज्य के रूप में एक नये राज्य का उदय हुआ।
  •  18वें संविधान संशोधन (1966) के तहत देश के 17वें राज्य हरियाणा का गठन 1 नवंबर, 1966 को किया गया।
  • 1 नवम्बर, 1966 को एक पृथक् राज्य के रूप में हरियाणा की स्थापना हुई। 
  • श्री धर्मवीर को राज्य का प्रथम राज्यपाल नियुक्त किया गया।
  • कांग्रेस पार्टी से बाहर आए कांग्रेस विधायकों द्वारा नवगठित हरियाणा विधानसभा में पं. भगवतदयाल शर्मा को अपना नेता चुनने के बाद प्रदेश का प्रथम मुख्यमंत्री बनाया गया।
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