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हरियाणा सामान्य ज्ञान – आधुनिक हरियाणा & स्वतंत्रता आंदोलन 

  • 30 दिसम्बर, 1803 को सुर्जीअजनगाँव की सन्धि के अनुसार दौलतराव सिन्धिया से उसके अधिकृत अन्य इलाकों के साथ-साथ हरियाणा प्रदेश भी प्राप्त कर लिया।
  • केवल ऐतिहासिक शहर दिल्ली और यमुना के दाएँ किनारे के साथ लगता हुआ कुछ भाग- पानीपत, सोनीपत, समालखा, गन्नौर, हवेलीपालम, नूह, हथीन, तिजारा, भोड़ा, टपूकड़ा, सोहना, रेवाड़ी, इण्डरी, पलवल, नगीना और फिरोजपुर के परगने अपने अधीन रखे।
  • इस क्षेत्र की प्रशासकीय व्यवस्था के लिए एक रेजिडेण्ट नियुक्त किया गया, जोकि सीधा गवर्नर जनरल के नीचे कार्य करता था।
  • सीधे नियन्त्रित क्षेत्र के अलावा शेष बचे भाग को ब्रिटिश सरकार ने ऐसे सामन्तों में बाँट दिया, जिन्होंने 1803 ई. में हुए आंग्ल-मराठा युद्ध में अंग्रेजों की सहायता की थी।
    • फर्रूखनगर के नवाब इसेखाँ तथा बल्लभगढ़ के राजा उम्मेद सिंह को उनकी परानी जागीरें स्थायी रूप से दे दी गईं।
    • होडल का परगना मुर्तजा खाँ तथा पलवल का परगना मोहम्मद अली खाँ अफरीद को प्राप्त हुआ।
    •  अहमद बख्श को लुहारू तथा फिरोजपुर झिरका क्षेत्र प्राप्त हुए। 
    • राव तेजसिंह को रेवाड़ी परगने के 87 गाँव जागीर के रूप में प्राप्त हुए।
    • जींद, थानेसर, कुंजपुरा, लाडवा और शामगढ़ के शासकों को उनकी पुरानी जागीरे स्थायी रूप से दे दी गई। 
    •  सरधना की बेगम समरु को करनाल तथा गुड़गांव के कुछ गाँव मिले। 
    • हिसार, हाँसी, अग्रोहा, रोहतक, बेरी, महम, जमालपुर तथा बरवाला परगने बम्बू खाँ को मिले, किन्तु जन विरोध के कारण अन्ततः मुहम्मद अली खाँ के पास ये क्षेत्र रहे।
    • इस बँटवारे से एक ओर तो अंग्रेजों को स्वामिभक्त सामन्त मिल गए, दूसरे ये क्षेत्र अंग्रेजों और  सिखों के मध्य बफर स्टेट के रूप में काम आए।
  • हरियाणा पर अधिकार होते ही कम्पनी की सरकार ने वहाँ रेजिडेण्ट नामक अधिकारी की नियुक्ति की । 
  • रेजिडेण्ट सीधे गवर्नर-जनरल के प्रति उत्तरदायी था। रेजिडेण्ट की आज्ञा से उसके सहायक मालगुजारी उगाहते थे।
  • हरियाणा का सारा क्षेत्र थानों में बाँट दिया गया। प्रत्येक थाने को अपने क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी होती थी।
  • न्यायिक व्यवस्था के लिए इस क्षेत्र को दो खण्डों में विभाजित किया गया था। एक भाग में लाल किला तथा दूसरे भाग में शेष क्षेत्र आते थे।
  • हरियाणा में जो क्षेत्र राजाओं और नवाबों के अधीन था, वहाँ के शासक न्याय व्यवस्था का दायित्व निभाते थे।
  • 1819 ई. में कम्पनी ने प्रशासनिक ढाँचे में संशोधन कर रेजिडेण्ट को राजनीतिक शक्ति प्रदान की। साथ ही कम्पनी द्वारा अधिगृहीत क्षेत्र तीन भागों में विभाजित कर दिया गया।
    • उत्तरी क्षेत्र इसके अन्तर्गत रोहतक, हिसार, हाँसी, पानीपत तथा सोनीपत रखे गए। 
    • केन्द्रीय क्षेत्र इसके अन्तर्गत दिल्ली का भाग था।
    • दक्षिणी क्षेत्र इसके तहत रेवाड़ी, गुड़गाँव, होडल, पलवल तथ मेवात आते थे।
  • 1858 ई. के अधिनियम द्वारा हरियाणा को पंजाब प्रान्त में मिला दिया गया।
  • छछरौली के बुंगेल सिंह की विधवा रामकौर ने सहायता के लिए अंग्रेजों से प्रार्थना की।
  • कम्पनी शासन के विरुद्ध किसानों के विद्रोह का प्रारम्भ रोहतक से हुआ।
  • जींद विद्रोह को दबाने में प्रताप सिंह के विरुद्ध पटियाला, नाभा तथा कैथल के सिख शासकों ने अंग्रेजों का साथ दिया।
  • कैथल विद्रोह को दबाने में पटियाला, नाभा और जींद की फौजों ने अंग्रेजों का साथ दिया।
  • 1810 ई. में हिसार जिले की रानियाँ रियासत के शासक जाबित खाँ ने अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार कर ली, किन्तु कम्पनी के आदेशों की अवहेलना करता था। परिणामस्वरूप कम्पनी ने रानियाँ के युद्ध में जाबित खाँ को परास्त कर इस रियासत को अपने अधिकार ले लिया।
  • अम्बाला क्षेत्र में 63 वर्ग किमी में विस्तृत इस छोटी रियासत का शासक बुंगेल सिंह था।
  • 1809 ई. में बुंगेल सिंह की मृत्योपरान्त कोई उत्तराधिकारी न होने के कारण कलसिया रियासत के राजा जोधसिंह ने उस पर अधिकार कर लिया।
  • अंग्रेजी सेना के आने पर जोधसिंह पीछे हट गया तथा यह रियासत रामकौर को मिल गई।
  • 1818 ई. में पुन: जोधसिंह ने छछरौली पर अधिकार कर लिया; रामकौर के खराब प्रशासन के कारण जनता ने भी रानी का साथ नहीं दिया।
  • अंग्रेजों ने जोधसिंह के विरुद्ध सेना भेजकर छछरौली को अपने राज्य में मिला। लिया।
  • 1824 ई. में बर्मा युद्ध में अंग्रेजों की हार की चर्चा सुनकर किसानों ने विद्रोह करना शुरू कर दिया। सरकारी खजानों तथा बैंकों में लूट-मार शुरू हो गई।
  • भिवानी के लोग सेना के वाहनों पर हमले करने लगे।
  • सूरजमल ने विद्रोहियों को एकत्र कर लड़ाई शुरू कर दी, किन्तु प्रशिक्षित अंग्रेजी सेना ने किसानों को परास्त कर उनपर अत्याचार किए।
  • 1835 ई. में संगत सिंह की मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने उनके सारे क्षेत्र पर अधिकार कर लिया।
  • बलावली की जनता ने प्रताप सिंह के बहनोई गुलाब सिंह के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया। अंग्रेजों ने सेना भेजकर उन्हें पराजित कर दिया तथा गुलाब सिंह, मारा गया।
  • 1813 ई. में जींद रियासत के शासक भागसिंह को लकवा मारने पर उन्होंने अपने पुत्र प्रताप सिंह को कार्यकारी शासक नियुक्त किया, किन्तु अंग्रेजों ने रानी सौद्राही को प्रशासक बना दिया।
  • 23 जून, 1814 को प्रताप सिंह ने रानी को मारकर अपनी सरकार बना ली।
  • अंग्रेजी सेना के आने पर प्रताप सिंह बलाक्ली दुर्ग तथा वहाँ से महलोवाल भाग गया, जो रणजीत सिंह के क्षेत्र में आता था।
  • अंग्रेजी सेना, जिसमें पटियाला, नाभा व कैथल की सेना भी शामिल थी, ने प्रताप सिंह और फूल सिंह के खिलाफ लड़ने से मना कर दिया।
  • प्रताप सिंह बलावली दुर्ग और वहाँ से लाहौर भाग गया, किन्तु रणजीत सिंह ने उसे पकड़कर अंग्रेजों के हवाले कर दिया।
  • 1819 ई. में भाग सिंह की मृत्यु के बाद फतेह सिंह जींद का राजा बना । 
  • 1822 ई. में फतेह सिंह की मृत्यु के बाद उसका 11 वर्षीय पुत्र संगत सिंह उत्तराधिकारी हुआ।
  • लाडवा शासक अजीत सिंह अंग्रेजों का सख्त विरोधी था, अतः कोई आधार न मिलने के बावजूद 1845 ई. में उसे विद्रोही घोषित कर सहारनपुर जेल में डाल दिया।
  • 1845-46 ई. में अजीत सिंह ने जेल से भागकर अंग्रेजों से कई युद्ध किए तथा अंग्रेज सेनापति हेनरी स्मिथ को गिरफ्तार किया, किन्तु इसी दौरान उसकी मृत्यु हो गई और अंग्रेजों द्वारा उसकी रियासत को कम्पनी शासन में मिला लिया।
  • विलियम फ्रेजर 1830 ई. में दिल्ली का रेजिडेण्ट बना।
  • विलियम फ्रेजर ने लुहारू के नवाब शम्सुद्दीन की बहन से छेड़खानी कर दी, इस कारण नवाब ‘दरोगा-ए-शिकार‘ के माध्यम से अन्या नामक शिकारी द्वारा रेजिडेण्ट की हत्या करवा दी।
  • अन्या के सरकारी गवाह बन जाने के कारण शम्सुद्दीन और करीब खाँ को फाँसी दे दी गई, फलतः जनसाधारण में विद्रोह उमड़ पड़ा।
  • 1843 ई. में कैथल के शासक उदय सिंह की मृत्यु होने पर उसके नि:सन्तान होने के कारण उसके रिश्तेदार गुलाब सिंह ने कैथल पर अपना हक जताया, किन्तु अंग्रेज सरकार ने इसे नहीं माना।
  • जनता ने उदय सिंह की माँ साहिब कौर तथा पत्नी सूरज कौर को रियासत बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया, किन्तु अंग्रेजी सरकार ने पटियाला, नाभा और जींद की सेना के साथ मिलकर कैथल पर अधिकार कर लिया।
  • 10 मई, 1857 को अम्बाला में प्रारम्भ होने वाली क्रान्ति की सूचना अंग्रेजों को श्याम सिंह नामक सैनिक ने दे दी।
  • हिसार में क्रान्ति का नेतृत्व शहजादा मुहम्मद आजम ने किया।
  • ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के काल में हरियाणा में खेतों की बुआई प्राय: बुधवार को होती थी। 
  • 13 मई, 1857 को दिल्ली से 300 सैनिकों का एक दस्ता गुड़गाँव की ओर बढ़ा।
  • अंग्रेज कलेक्टर विलियम फोर्ड ने उन्हें रोकने का प्रयास किया किन्तु असफल रहा।
  • सुव्यवस्थित शासन के लिए हरियाणा को दिल्ली और हिसार दो भागों में बाँट दिया गया।
  • दिल्ली में पानीपत, गुड़गाँव और दिल्ली जिले तथा हिसार में सिरसा, रोहतक और हिसार जिले शामिल थे।
  • झज्जर के नवाब अब्दुर्रहमान, फर्रुखनगर के अहमद अली तथा बल्लभगढ़ के नाहर सिंह को दिल्ली के चाँदनी चौक में फाँसी पर लटका दिया गया।
  • अगस्त, 1857 में हडसन के नेतृत्व में एक सैन्य टुकड़ी ने रोहतक के निकट सूबेदार विरासत से खरखौदा में कड़ा मुकाबला किया और यहाँ पर अंग्रेजों ने विजय प्राप्त की।
  • रोहतक में अंग्रेजों का सीधा मुकाबला क्रान्तिकारियों से हुआ, जींद के राजा ने हडसन का साथ दिया
  • हरियाणा लाइट इन्फैन्ट्री की सैन्य टुकड़ियों ने हिसार, सिरसा स्थित अपने शिविरों में विद्रोह कर दिया।
  • जून, 1857 में ऊधा ग्राम में नवाब नूर मोहम्मद खान के नेतृत्व में क्रान्तिकारियों ने अंग्रेजों से संघर्ष किया। इस संघर्ष में अंग्रेज सेना विजयी हुई।
  •  जनरल कोर्टलैण्ड ने दो सप्ताह के कड़े संघर्ष के बाद सिरसा परगने पर अधिकार किया और जुलाई, 1857 के मध्य वह हिसार पहुँचा।
  • जींद के राजा को दादरी रियासत और कानौण्ड के कुछ परगने, नाभा के राजा को कांटी (झज्जर) और बावल परगने प्राप्त हुए।
  • जिलों का प्रशासन डिप्टी कमिश्नर को दिया गया।
  • 1870 ई. में हरियाणा में 10 वर्गमील क्षेत्र में एक स्कूल स्थापित किया गया, जिनका मुख्य आधार अंग्रेजी भाषा में शिक्षा थी।
  • मिडिल श्रेणी तक की शिक्षा का मुख्य आधार उर्दू को बनाया गया। वर्ष 1926 में इण्टरमीडिएट स्तर का एक कॉलेज रोहतक में खोला गया।
  • विश्वम्भर दयाल शर्मा ने झज्जर से भारत प्रताप नामक उर्दू समाचार-पत्र निकाला।
  • 10 अप्रैल, 1875 को आर्य समाज की स्थापना करने वाले स्वामी दयानन्द 1880 ई. में रेवाड़ी आए और आर्य समाज की एक शाखा की स्थापना की । 
  • 1886 ई. में लाजपत राय ने हिसार में आर्य समाज की शाखा बनाई। इस कार्य में चूड़ामणि, हीरालाल, चन्दूलाल, लखपत राय आदि ने लाला लाजपत राय को सहयोग दिया । 
  • आर्य समाज की प्रतिक्रिया स्वरूप हरियाणा के रूढ़िवादी ब्राह्मणों ने 1886 ई. में सनातन धर्म सभा का गठन किया, जिसका लक्ष्य पूजा-पाठ और कर्मकाण्ड की रक्षा करना था।
  • झज्जर दीनदयाल शर्मा ने ‘मथुरा अखबार‘ नामक उर्दू साप्ताहिक-पत्र निकाला, जिसमें सनातन धर्म के समर्थन में लेख छपते थे। उन्होंने हरियाणा में धर्मशिक्षा का आन्दोलन चलाया।
  • हिसार, सिरसा, झज्जर, भिवानी आदि में सनातन धर्म की शाखाएँ खोली गईं।
  • कलकत्ता में स्थापित सेण्ट्रल मोहम्मडन एसोसिएशन ने 1886 ई. में अम्बाला तथा 1888 ई. में हिसार में प्रचार केन्द्र बनाए।
  • 1880 ई. में सिखों ने सिंह सभा बनाई, जिसका उद्देश्य सिख धर्म का प्रचार-प्रसार करना था।
  • राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (28 दिसम्बर, 1885 को स्थापित) ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • कांग्रेस के 72 संस्थापक सदस्यों में राय बहादुर मुरलीधर हरियाणा के थे। उन्हें कई बार राजनीतिक बन्दी बनाया गया।
  • 1886 में राय बहादुर मुरलीधर के प्रयास से अम्बाला में कांग्रेस की एक शाखा बनी।
  • लाला लाजपत राय ने 1887 ई. में हिसाररोहतक में कांग्रेस का कार्य शुरू कराया।
  • आर्य समाज से सम्बद्ध लोगों ने कांग्रेस को भरपूर सहयोग दिया।
  • अक्टूबर, में 1886 रोहतक में तुर्राबाज खाँ की अध्यक्षता में कांग्रेस की एक सार्वजनिक सभा हुई।
  • लाला लाजपत राय व राय बहादुर मुरलीधर के अतिरिक्त हरियाणा के दीनदयाल शर्मा, बालमुकुन्द गुप्त, छबीलदास, शादीलाल, गौरीशंकर, दुलीचन्द, चूड़ामणि इत्यादि ने कांग्रेस के विभिन्न वार्षिक अधिवेशनों में भाग लिया।
  • वर्ष 1907 तक हरियाणा के प्रत्येक जिले में कांग्रेस की शाखा स्थापित हो गई।
  • पंजाब के उप-राज्यपाल डेंजिल इब्टसन के इशारे पर वायसराय मिन्टो ने उन्हें 9 मई, 1907 को देश से निर्वासन का आदेश देकर बर्मा की माण्डले जेल भेज दिया।
  • व्यापक प्रतिक्रियाओं और हिंसक गतिविधियों के कारण 14 नवम्बर, 1907 को लाजपत राय को रिहा कर दिया गया।
  • वर्ष 1907 में सूरत अधिवेशन में कांग्रेस के विभाजन के कारण नवयुवक निराश हो गए तथा उन्होंने 29 दिसम्बर, 1909 को अम्बाला के उपायुक्त के बंगले पर बम फेंका
  • हरियाणा के पत्रकार बाल मुकुन्द गुप्त ने मार्ले-मिण्टो सुधार का तीव्र विरोध ‘शिवशम्भू का चिट्ठा‘ नामक लेख के माध्यम से किया।
  • हरियाणा में आरम्भिक क्रान्तिकारी गतिविधियों का केन्द्र अम्बाला था।
  • रोहतक के उपायुक्त ने नेकीराम शर्मा को प्रलोभन दिया कि यदि प्रथम विश्वयुद्ध में वे सरकार का सहयोग करेंगे तो उन्हें 25 मुरब्बे जमीन मिलेगी।
  • बिगड़ती स्थिति को देखकर ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1909 में कुछ सुधार किए, जिसे मार्ले-मिण्टो सुधार कहा जाता है।
  • इस सुधार के तहत गुड़गाँव, हिसार और रोहतक जिला बोर्डों तथा कमेटियों की वोट से पंजाब विधानसभा के लिए एक सदस्य चुने जाने का प्रावधान किया गया था।
  • अम्बाला और करनाल जिलों को शिमला के साथ जोड़कर सदस्यता निश्चित की गई।
  • रोहतक, हिसार और गुड़गांव से हिसार के निवासी राय बहादुर जवाहरलाल भार्गव तथा करनाल क्षेत्र से मौलवी अब्दुल गनी चुने गए।
  • कांग्रेस के गरम दल ने मार्ले-मिण्टो सुधारों का कड़ा विरोध किया।
  • बढ़ते विद्रोहों को दबाने हेतु ब्रिटिश सरकार ने 10 दिसम्बर, 1917 को सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई, जिसने 15 अप्रैल, 1918 को अपनी रिपोर्ट दी।
  • रॉलेट एक्ट के अनुसार किसी भी भारतीय को केवल सन्देह के आधार पर बन्दी बनाकर बिना मुकदमा चलाए जेल में डाला जा सकता था।
  • फरवरी, 1919 में रॉलेट कानून का विरोध करने के लिए बम्बई में सत्याग्रह सभा का गठन किया गया।
  • गाँधीजी के आह्वान पर 6 अप्रैल, 1919 को देशव्यापी हड़ताल की गई।
  •  हरियाणा के रोहतक और हिसार जिले पहले से ही दमनकारी सेडिशियस मीटिंग एक्ट, 1907 के अधीन थे।
  • अब पंजाब सरकार ने करनाल और गुड़गाँव में भी पुलिस कानून की धारा-15 लागू कर दी। इससे हरियाणा में पुलिस को व्यापक अधिकार प्राप्त हो गए।
  •  असहयोग के दौरान नवम्बर, 1920 में रोहतक में हुए सभा आयोजन के स्वागत समिति के अध्यक्ष लाला श्यामलाल थे । 
  • चौधरी छोटूराम असहयोग आन्दोलन के पक्ष में नहीं थे।
  • नवम्बर, 1921 में रोहतक नगरपालिका ने प्रस्ताव पारित कर प्रिंस ऑफ वेल्स के आगमन का बहिष्कार किया।
  • जीद रियासत में प्रजामण्डल आन्दोलन वर्ष 1940 में आरम्भ हुआ। हीरा सिंह चिनारिया ने तहसीलदारी छोड़कर प्रजामण्डल के आन्दोलन का नेतृत्व किया।
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