Naukari4u

 

लाला सुल्तान सिंह

 

इनका जन्म राज्य के रोहतक जिले में हुआ था। कांग्रेस की ओर इनका झुकाव विद्यार्थी जीवन के समय से ही था। इन्होंने लम्बे समय तक नगर कांग्रेस समिति के कोषाध्यक्ष तथा प्रधान के रूप में काम किया। वर्ष 1930-32 में सुल्तान सिंह ने कांग्रेस के आन्दोलन में राष्ट्रीय रूप से भाग लिया। स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लेने के कारण वर्ष 1940-42 में इन्हें कैद किया गया। इनकी मृत्यु वर्ष 1946 में हो गई।

 

बनारसीदास

 

बनारसीदास का बचपन से ही भारतीय स्वतन्त्रता से गहरा लगाव था। ये वर्ष 1930-31 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान जेल जाने के लिए घर से भाग गए तथा मेरठ के सत्याग्रही शिविर में चले गए। इन्होंने रेवाड़ी में नवयुवक सभा की स्थापना की। वर्ष 1941 में इन्हें व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तार किया गया तथा दो वर्ष की सजा दी गई। वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में इन्हें 2 वर्ष के लिए नजरबन्दी बनाया गया। बाद में कांग्रेस को वैधता मिलने पर इन्हें नगर कांग्रेस का प्रधान बनाया गया।

 

लाला सुल्तान सिंह

 

इनका जन्म राज्य के रोहतक जिले में हुआ था। कांग्रेस की ओर इनका झुकाव विद्यार्थी जीवन के समय से ही था। इन्होंने लम्बे समय तक नगर कांग्रेस समिति के कोषाध्यक्ष तथा प्रधान के रूप में काम किया। वर्ष 1930-32 में सुल्तान सिंह ने कांग्रेस के आन्दोलन में राष्ट्रीय रूप से भाग लिया। स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लेने के कारण वर्ष 1940-42 में इन्हें कैद किया गया। इनकी मृत्यु वर्ष 1946 में हो गई।

 

बनारसीदास

 

बनारसीदास का बचपन से ही भारतीय स्वतन्त्रता से गहरा लगाव था। ये वर्ष 1930-31 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान जेल जाने के लिए घर से भाग गए तथा मेरठ के सत्याग्रही शिविर में चले गए। इन्होंने रेवाड़ी में नवयुवक सभा की स्थापना की। वर्ष 1941 में इन्हें व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तार किया गया तथा दो वर्ष की सजा दी गई। वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में इन्हें 2 वर्ष के लिए नजरबन्दी बनाया गया। बाद में कांग्रेस को वैधता मिलने पर इन्हें नगर कांग्रेस का प्रधान बनाया गया।

 

वैद्य लेखराम

 

हरियाणा के इस स्वतन्त्रता सेनानी का जन्म हिसार में हुआ था। ये प्रारम्भ से ही क्रान्तिकारी गतिविधियों में सम्मिलित रहे। भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन की ट्रेन के नीचे रखे गए बम की घटना में ये शामिल थे। उस बम का निर्माण लेखराम ने रोहतक में किया था। इस घटना के बाद इनके पीछे पुलिस पड़ गई, फलस्वरूप ये भूमिगत हो गए तथा भूमिगत रहकर ही क्रान्तिकारी गतिविधियों में लिप्त रहे। अपना नाम बदलकर कई घटनाओं में शामिल हुए। स्वतन्त्रता के पश्चात् राजनीतिक गतिविधियों से स्वयं को अलग कर लिया।

 

कामरेड लक्ष्मनदास

 

ये हरियाणा के रोहतक जिले के रहने वाले थे। ये भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन से बहुत प्रभावित थे, अतः स्वतन्त्रता की लड़ाई में शामिल हो गए। वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान इन्हें एक वर्ष का कारावास हुआ। पुनः वर्ष 1932 में एक वर्ष तक जेल में अपना जीवन व्यतीत किया। वर्ष 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय जेल से बाहर रहे तथा कांग्रेस के कार्यक्रमों का राज्य में संचालन किया। वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में इन्हें 11 महीने की जेल हुई।

 

राव तुलाराम

 

1857 ई. की क्रान्ति के वीर सेनानी थे। इनका जन्म दिसम्बर, 1825 में रेवाड़ी के रामपुरा में राव घराने में हुआ था। इन्होंने घर पर हिन्दी, उर्दू, फारसी, गणित की शिक्षा प्राप्त की। अंग्रेजों ने इनकी रियासत हड़प ली, जिससे नाराज होकर 1867 ई. की क्रान्ति में कूद पड़े। 17 मई, 1857 को इन्होंने रेवाड़ी को स्वतन्त्र करा लिया। बहादुरशाह द्वितीय के आदेश पर इन्होंने दिल्ली के क्रान्तिकारियों की सहायता की तथा इसी दौरान 16 नवम्बर, 1857 को नारनौल में अंग्रेजों के साथ एक युद्ध में हार गए। दिसम्बर, 1861 में काबुल में इनका निधन हो गया।

 

बालमुकुन्द गुप्त

 

इनका जन्म 1865 ई. में झज्जर के गुड़ीयानी में हुआ था। ये महान् देशभक्त, पत्रकार, आलोचक तथा निबन्धकार थे। शिक्षा प्राप्ति के बाद • इन्होंने अपने जीवन की शुरूआत पत्रकारिता से की। 1886-88 ई. तक ‘अखबारे चुनार’ के तथा इसके बाद ‘कोहेनर’ के सम्पादक बने। बाद में वे उर्दू छोड़कर हिन्दी में लिखने लगे। 1889-91 ई. तक ‘हिन्दुस्तान’, 1893-98 ई. तक ‘हिन्द बंगवासी’ तथा 1899-1907 ई. तक ‘भारत मित्र’ से जुड़े’ रहे।

 

लाला चन्द्रभान गुप्ता

 

इनका जन्म 27 जुलाई, 1921 को रोहतक के खैरपुर में हुआ। इन्होंने रक्षा विभाग में नौकरी की, किन्तु वर्ष 1957 के दौरान त्याग-पत्र दे दिया। वर्ष 1945 में वकालत शुरू की तथा वर्ष 1947 में ‘शरणार्थी रिलीफ कमेटी’ के सदस्य बने। वर्ष 1954 में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य तथा अखिल भारतीय कांग्रेस के डेलीगेट बने। इन्हें वर्ष 1962 में पंजाब काउन्सिल का सदस्य चुना गया। वर्ष 1977 में जनता पार्टी के महामन्त्री बने। इन्होंने साप्ताहिक पत्रिका ‘भारत निर्माण’ का सम्पादन किया।

 

मास्टर नान्दू राम

 

गोहना में जन्मे नान्दू राम ने कांग्रेस आन्दोलन से प्रभावित होकर अध्यापक की नौकरी छोड़ दी तथा वर्ष 1930 में जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर इंचार्ज बने। नमक सत्याग्रह के दौरान छः माह की जेल की सजा मिली। असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण एक वर्ष की कारावास की सजा मिली। भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान छ: माह के लिए इन्हें कैद किया गया। वर्ष 1952-57 में पंजाब विधानसभा के लिए सदस्य चुने गए। भारत सरकार ने इन्हें ताम्र-पत्र से सम्मानित किया था।

 

राय बहादुर लाला मुरलीधर

 

इनका जन्म 1848 ई. में पलवल में हुआ था। ये अम्बाला के ख्यातिप्राप्त वकील थे। ब्रिटिश सरकार द्वारा इन्हें ‘रायबहादुर’ तथा ‘केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि प्रदान की गई। ये राज्य में कांग्रेस के संस्थापक सदस्य भी रहे। राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने के कारण इन्हें 1886 ई. में जेल जाना पड़ा। इन्होंने रॉलेट एक्ट के विरोध में वर्ष 1921 में अपनी सभी उपाधियाँ लौटा दीं।’ ये ग्रैण्ड ओल्ड मैन ऑफ पंजाब’ के नाम से भी प्रसिद्ध थे। वर्ष 1922 में इनका निधन हो गया।

 

चौधरी कृपाराम

 

इनका जन्म हिसार के स्याहडवा में 6 दिसम्बर, 1861 को हुआ था। इन्होंने गाँधीजी के आह्वान पर नौकरी छोड़ दी तथा हिसार में गाँधीजी के प्रचारक बन गए। वर्ष 1941 में ये हिसार कांग्रेस के अध्यक्ष बने। भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सेदारी के कारण इन्हें छः माह की कारावास की सजा हुई।

 

पण्डित नेकीराम शर्मा

 

इनका जन्म रोहतक के कैलंगा गाँव में 4 सितम्बर, 1887 को हुआ था। वर्ष 1916 में ये तिलक के स्वराज संघ के सदस्य तथा वर्ष 1920 में डिवीजनल कॉन्फ्रेन्स के सचिव बने जिसमें गाँधीजी सम्मिलित थे। वर्ष 1925-30 तक ये लाला लाजपत राय तथा मदन मोहन मालवीय के साथ रहे। इन्होंने भिवानी से ‘सन्देश’ नामक साप्ताहिक – पत्र निकाला। 8 जून, 1956 को इनकी मृत्यु हो गई।

 

पण्डित श्रीराम शर्मा

 

इनका जन्म 1 अक्टूबर, 1899 को झज्जर में हुआ था। कांग्रेस के सभी पाँच सत्याग्रहों (1922,30,32,41 तथा 1942) में भाग लेने के कारण ये सात वर्षों तक कारावास में रहे। इन्होंने वर्ष 1923 में रोहतक से आजादी के समर्थन में उर्दू और हिन्दी में ‘हरियाणा तिलक नामक साप्ताहिक-पत्र निकाला और ‘हरियाणा का इतिहास’ तथा ‘हरियाणा के नवरत्न’ का लेखन कार्य किया। 17 अक्टूबर, 1989 को ये पंचतत्त्व में विलिन हो गए।

 

लाला श्यामलाल

 

वर्ष 1916 में ये रोहतक कांग्रेस कमेटी के मन्त्री बने तथा वर्ष 1917 में प्रतिनिधि के रूप में इन्होंने कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। इन्होंने वर्ष 1921 में वकालत छोड़ दी। वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण इन्हें 2 वर्ष की जेल हुई। लाहौर षड्यन्त्र केस में ये क्रान्तिकारियों के वकील बने तथा वर्ष 1934 में केन्द्रीय असेम्बली में कांग्रेस के सदस्य बने। 10 जनवरी, 2940 को ये स्वर्गवासी हो गए।

 

लाला दौलतराम गुप्त

 

इनका जन्म रोहतक में हुआ था। ये वर्ष 1916 में रोहतक कांग्रेस कमेटी के सहकारी मन्त्री बने। असहयोग आन्दोलन और नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण इन्हें 6-6 महीने का कारावास हुआ। ये वर्ष 1932 से हरिजन सेवक संघ के कार्य में संलग्न हो गए।

 

राधाकृष्ण वर्मा

 

इन्होंने वर्ष 1920 में भिवानी में ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना की। वर्ष 1930 में यह संस्था अवैध घोषित कर दी गई जिस कारण इन्हें छः माह की सजा हुई। भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लेने के कारण ये 26 जनवरी, 1943 को गिरफ्तार हुए तथा चार माह के लिए जेल गए। ये वर्ष 1955-57 तक भिवानी कांग्रेस के प्रधान रहे।

 

बलदेव सिंह

 

इनका जन्म हुमायूँपुर ग्राम में हुआ था। इन्होंने रोहतक में जाट हाईस्कूल की स्थापना की। असहयोग आन्दोलन के दौरान इन्हें एक वर्ष की सजा दी गई। असहयोग आन्दोलन के दौरान इन्होंने राष्ट्रीय विद्यालय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये वर्ष 1926 के चुनाव में पंजाब काउन्सिल के सदस्य चुने गए।

 

लाला काकाराम

 

इन्होंने वर्ष 1919 में रॉलेट एक्ट के विरुद्ध हड़ताल का आयोजन करवाया था। नमक सत्याग्रह में भागीदारी के कारण इन्हें एक वर्ष की सजा दी गई। वर्ष 1932 में कैथल मण्डी से गिरफ्तार कर इन्हें छः माह की सजा दी गई। वर्ष 1940 में मोतीलाल नेहरू के जन्मदिवस पर । सार्वजनिक भाषण देने के कारण भी इन्हें गिरफ्तार किया गया। भारत विभाजन के बाद ये शरणार्थियों की सेवा में संलग्न हो गए।

 

बाबू दयाल शर्मा

 

इनका जन्म रेवाड़ी के मालपुरा तहसील में हुआ था। मैट्रिक के बाद इन्होंने सहकारिता विभाग में नौकरी की। ये वर्ष 1932 में कांग्रेस में शामिल हो गए तथा इन्होंने पटौदी रियासत में प्रजामण्डल आन्दोलन का नेतृत्व किया। वर्ष 1946 में इन्हेंने पटौदी रियासत के नवाब से टक्कर ली। वर्ष 1952 में कांग्रेस की ओर से ये पंजाब विधानसभा के सदस्य बने।

 

पण्डित अमीलाल

 

इनका जन्म जींद के खाण्डाखेड़ी ग्राम में हुआ था। इन्होंने वर्ष 1929 में गाँधीजी के निवास स्थान पर 10 दिन स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया। इन्हें सविनय अवज्ञा के दौरान बुआना ग्राम (दिल्ली) से गिरफ्तार कर छः माह की जेल की सजा दी गई। वर्ष 1935 में प्रजामण्डल जींद में काम किया तथा दो माह जेल में रहे। आर्य समाज सत्याग्रह में इन्हें नौ माह की कारावास की सजा दी गई।

 

भरत सिंह

 

मोखरा (महम) निवासी भरत सिंह सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान नौ महीने जेल में रहे। वर्ष 1941 में इन्हें व्यक्तिगत रूप से सत्याग्रह में भाग लेने के कारण छ: माह की सजा हुई। इन्होंने जिला कांग्रेस में मन्त्री तथा प्रभाव के पद पर भी कार्य किया। वर्ष 1967 में महम से ये (कांग्रेस के विरोध में) विधानसभा सदस्य बने।

 

बदलुराम

 

इनका जन्म रोहतक के सांघी ग्राम में हुआ था। नमक सत्याग्रह के दौरान इन्हें छः माह जेल की सजा दी गई। सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान इन्होंने 2-3 बार जेल की यात्रा की। 1952 में भी इन्हें विधानसभा का सदस्य चुना गया। वर्ष 1946 के चुनाव में ये रोहतक के महम क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से विधानसभा के सदस्य बने।

 

सन्त वीरभान

 

यन्त उदयदास इनके आध्यात्मिक गुरु थे, जिनसे इन्होंने ज्ञान प्राप्त किया। ज्ञान प्राप्ति के उपरान्त 1542 ई. के लगभग इन्होंने नए सतनामी सम्प्रदाय की स्थापना की। 16वीं सदी के साहित्यकारों में इनका प्रमुख स्थान था। इनकी वाणियों की पुस्तक ग्रन्थ साहब कहलाती है। ये मारनौल के थे।

 

भगवतदयाल शर्मा

 

इनका जन्म बेरी में हुआ था। वर्ष 1941-42 के आन्दोलन में इन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई तथा तीन बार जेल गए। वर्ष 1942 की क्रान्ति में भूमिगत रहकर उन्होंने आन्दोलन में भाग लिया। 1 नवम्बर, 1966 को पृथक् राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद हरियाणा राज्य के प्रथम मुख्यमन्त्री बने।

 

सर छोटूराम

 

इनका जन्म 24 नवम्बर, 1881 को रोहतक के गढ़ी सांपला में हुआ था तथा आगरा विश्वविद्यालय से इन्होंने वकालत का पढ़ाई पूरी की। इन्होंने वर्ष 1916 में रोहतक से उर्दू साप्ताहिक जाट गजट का प्रकाशन किया तथा वर्ष 1924 में जमींदार लीग की स्थापना की। वर्ष 1937 में इन्हें ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। वर्ष 1938 में इनके द्वारा किसानों के अनाज की बिक्री हेतु ‘मार्केटिंग बोर्ड का गठन किया गया।

 

चौधरी देवीलाल

 

इनका जन्म सिरसा जिले के चौटाला गाँव में हुआ था। वर्ष 1930 में अपनी शिक्षा अधूरी छोड़कर ये स्वयंसेवक बन गए। वर्ष 1942 के आन्दोलन में इनकी भूमिका सक्रिय रही तथा इन्हें कारावास की सजा मिली। वर्ष 1952 में ये पंजाब में कांग्रेस के सदस्य बने तथा वर्ष 1962 के चुनाव में कांग्रेस के विरुद्ध चुने गए और विपक्षी दल के नेता बने। हरियाणा राज्य के गठन में इन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार में ये हरियाणा के मुख्यमन्त्री बने तथा वर्ष 1989 में केन्द्रीय सरकार में उप-प्रधानमन्त्री बने। 6 अप्रैल, 2001 में इनका निधन हो गया।

 

वैद्य लेखराम

 

हरियाणा के इस स्वतन्त्रता सेनानी का जन्म हिसार में हुआ था। ये प्रारम्भ से ही क्रान्तिकारी गतिविधियों में सम्मिलित रहे। भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन की ट्रेन के नीचे रखे गए बम की घटना में ये शामिल थे। उस बम का निर्माण लेखराम ने रोहतक में किया था। इस घटना के बाद इनके पीछे पुलिस पड़ गई, फलस्वरूप ये भूमिगत हो गए तथा भूमिगत रहकर ही क्रान्तिकारी गतिविधियों में लिप्त रहे। अपना नाम बदलकर कई घटनाओं में शामिल हुए। स्वतन्त्रता के पश्चात् राजनीतिक गतिविधियों से स्वयं को अलग कर लिया।

 

कामरेड लक्ष्मनदास

 

ये हरियाणा के रोहतक जिले के रहने वाले थे। ये भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन से बहुत प्रभावित थे, अतः स्वतन्त्रता की लड़ाई में शामिल हो गए। वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान इन्हें एक वर्ष का कारावास हुआ। पुनः वर्ष 1932 में एक वर्ष तक जेल में अपना जीवन व्यतीत किया। वर्ष 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय जेल से बाहर रहे तथा कांग्रेस के कार्यक्रमों का राज्य में संचालन किया। वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में इन्हें 11 महीने की जेल हुई।

 

राव तुलाराम

 

1857 ई. की क्रान्ति के वीर सेनानी थे। इनका जन्म दिसम्बर, 1825 में रेवाड़ी के रामपुरा में राव घराने में हुआ था। इन्होंने घर पर हिन्दी, उर्दू, फारसी, गणित की शिक्षा प्राप्त की। अंग्रेजों ने इनकी रियासत हड़प ली, जिससे नाराज होकर 1867 ई. की क्रान्ति में कूद पड़े। 17 मई, 1857 को इन्होंने रेवाड़ी को स्वतन्त्र करा लिया। बहादुरशाह द्वितीय के आदेश पर इन्होंने दिल्ली के क्रान्तिकारियों की सहायता की तथा इसी दौरान 16 नवम्बर, 1857 को नारनौल में अंग्रेजों के साथ एक युद्ध में हार गए। दिसम्बर, 1861 में काबुल में इनका निधन हो गया।

 

बालमुकुन्द गुप्त

 

इनका जन्म 1865 ई. में झज्जर के गुड़ीयानी में हुआ था। ये महान् देशभक्त, पत्रकार, आलोचक तथा निबन्धकार थे। शिक्षा प्राप्ति के बाद • इन्होंने अपने जीवन की शुरूआत पत्रकारिता से की। 1886-88 ई. तक ‘अखबारे चुनार’ के तथा इसके बाद ‘कोहेनर’ के सम्पादक बने। बाद में वे उर्दू छोड़कर हिन्दी में लिखने लगे। 1889-91 ई. तक ‘हिन्दुस्तान’, 1893-98 ई. तक ‘हिन्द बंगवासी’ तथा 1899-1907 ई. तक ‘भारत मित्र’ से जुड़े’ रहे।

 

लाला चन्द्रभान गुप्ता

 

इनका जन्म 27 जुलाई, 1921 को रोहतक के खैरपुर में हुआ। इन्होंने रक्षा विभाग में नौकरी की, किन्तु वर्ष 1957 के दौरान त्याग-पत्र दे दिया। वर्ष 1945 में वकालत शुरू की तथा वर्ष 1947 में ‘शरणार्थी रिलीफ कमेटी’ के सदस्य बने। वर्ष 1954 में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य तथा अखिल भारतीय कांग्रेस के डेलीगेट बने। इन्हें वर्ष 1962 में पंजाब काउन्सिल का सदस्य चुना गया। वर्ष 1977 में जनता पार्टी के महामन्त्री बने। इन्होंने साप्ताहिक पत्रिका ‘भारत निर्माण’ का सम्पादन किया।

 

मास्टर नान्दू राम

 

गोहना में जन्मे नान्दू राम ने कांग्रेस आन्दोलन से प्रभावित होकर अध्यापक की नौकरी छोड़ दी तथा वर्ष 1930 में जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर इंचार्ज बने। नमक सत्याग्रह के दौरान छः माह की जेल की सजा मिली। असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण एक वर्ष की कारावास की सजा मिली। भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान छ: माह के लिए इन्हें कैद किया गया। वर्ष 1952-57 में पंजाब विधानसभा के लिए सदस्य चुने गए। भारत सरकार ने इन्हें ताम्र-पत्र से सम्मानित किया था।

 

राय बहादुर लाला मुरलीधर

 

इनका जन्म 1848 ई. में पलवल में हुआ था। ये अम्बाला के ख्यातिप्राप्त वकील थे। ब्रिटिश सरकार द्वारा इन्हें ‘रायबहादुर’ तथा ‘केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि प्रदान की गई। ये राज्य में कांग्रेस के संस्थापक सदस्य भी रहे। राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने के कारण इन्हें 1886 ई. में जेल जाना पड़ा। इन्होंने रॉलेट एक्ट के विरोध में वर्ष 1921 में अपनी सभी उपाधियाँ लौटा दीं।’ ये ग्रैण्ड ओल्ड मैन ऑफ पंजाब’ के नाम से भी प्रसिद्ध थे। वर्ष 1922 में इनका निधन हो गया।

 

चौधरी कृपाराम

 

इनका जन्म हिसार के स्याहडवा में 6 दिसम्बर, 1861 को हुआ था। इन्होंने गाँधीजी के आह्वान पर नौकरी छोड़ दी तथा हिसार में गाँधीजी के प्रचारक बन गए। वर्ष 1941 में ये हिसार कांग्रेस के अध्यक्ष बने। भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सेदारी के कारण इन्हें छः माह की कारावास की सजा हुई।

 

पण्डित नेकीराम शर्मा

 

इनका जन्म रोहतक के कैलंगा गाँव में 4 सितम्बर, 1887 को हुआ था। वर्ष 1916 में ये तिलक के स्वराज संघ के सदस्य तथा वर्ष 1920 में डिवीजनल कॉन्फ्रेन्स के सचिव बने जिसमें गाँधीजी सम्मिलित थे। वर्ष 1925-30 तक ये लाला लाजपत राय तथा मदन मोहन मालवीय के साथ रहे। इन्होंने भिवानी से ‘सन्देश’ नामक साप्ताहिक – पत्र निकाला। 8 जून, 1956 को इनकी मृत्यु हो गई।

 

पण्डित श्रीराम शर्मा

 

इनका जन्म 1 अक्टूबर, 1899 को झज्जर में हुआ था। कांग्रेस के सभी पाँच सत्याग्रहों (1922,30,32,41 तथा 1942) में भाग लेने के कारण ये सात वर्षों तक कारावास में रहे। इन्होंने वर्ष 1923 में रोहतक से आजादी के समर्थन में उर्दू और हिन्दी में ‘हरियाणा तिलक नामक साप्ताहिक-पत्र निकाला और ‘हरियाणा का इतिहास’ तथा ‘हरियाणा के नवरत्न’ का लेखन कार्य किया। 17 अक्टूबर, 1989 को ये पंचतत्त्व में विलिन हो गए।

 

लाला श्यामलाल

 

वर्ष 1916 में ये रोहतक कांग्रेस कमेटी के मन्त्री बने तथा वर्ष 1917 में प्रतिनिधि के रूप में इन्होंने कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। इन्होंने वर्ष 1921 में वकालत छोड़ दी। वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण इन्हें 2 वर्ष की जेल हुई। लाहौर षड्यन्त्र केस में ये क्रान्तिकारियों के वकील बने तथा वर्ष 1934 में केन्द्रीय असेम्बली में कांग्रेस के सदस्य बने। 10 जनवरी, 2940 को ये स्वर्गवासी हो गए।

 

लाला दौलतराम गुप्त

 

इनका जन्म रोहतक में हुआ था। ये वर्ष 1916 में रोहतक कांग्रेस कमेटी के सहकारी मन्त्री बने। असहयोग आन्दोलन और नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण इन्हें 6-6 महीने का कारावास हुआ। ये वर्ष 1932 से हरिजन सेवक संघ के कार्य में संलग्न हो गए।

 

राधाकृष्ण वर्मा

 

इन्होंने वर्ष 1920 में भिवानी में ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना की। वर्ष 1930 में यह संस्था अवैध घोषित कर दी गई जिस कारण इन्हें छः माह की सजा हुई। भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लेने के कारण ये 26 जनवरी, 1943 को गिरफ्तार हुए तथा चार माह के लिए जेल गए। ये वर्ष 1955-57 तक भिवानी कांग्रेस के प्रधान रहे।

 

बलदेव सिंह

 

इनका जन्म हुमायूँपुर ग्राम में हुआ था। इन्होंने रोहतक में जाट हाईस्कूल की स्थापना की। असहयोग आन्दोलन के दौरान इन्हें एक वर्ष की सजा दी गई। असहयोग आन्दोलन के दौरान इन्होंने राष्ट्रीय विद्यालय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये वर्ष 1926 के चुनाव में पंजाब काउन्सिल के सदस्य चुने गए।

 

लाला काकाराम

 

इन्होंने वर्ष 1919 में रॉलेट एक्ट के विरुद्ध हड़ताल का आयोजन करवाया था। नमक सत्याग्रह में भागीदारी के कारण इन्हें एक वर्ष की सजा दी गई। वर्ष 1932 में कैथल मण्डी से गिरफ्तार कर इन्हें छः माह की सजा दी गई। वर्ष 1940 में मोतीलाल नेहरू के जन्मदिवस पर । सार्वजनिक भाषण देने के कारण भी इन्हें गिरफ्तार किया गया। भारत विभाजन के बाद ये शरणार्थियों की सेवा में संलग्न हो गए।

 

बाबू दयाल शर्मा

 

इनका जन्म रेवाड़ी के मालपुरा तहसील में हुआ था। मैट्रिक के बाद इन्होंने सहकारिता विभाग में नौकरी की। ये वर्ष 1932 में कांग्रेस में शामिल हो गए तथा इन्होंने पटौदी रियासत में प्रजामण्डल आन्दोलन का नेतृत्व किया। वर्ष 1946 में इन्हेंने पटौदी रियासत के नवाब से टक्कर ली। वर्ष 1952 में कांग्रेस की ओर से ये पंजाब विधानसभा के सदस्य बने।

 

पण्डित अमीलाल

 

इनका जन्म जींद के खाण्डाखेड़ी ग्राम में हुआ था। इन्होंने वर्ष 1929 में गाँधीजी के निवास स्थान पर 10 दिन स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया। इन्हें सविनय अवज्ञा के दौरान बुआना ग्राम (दिल्ली) से गिरफ्तार कर छः माह की जेल की सजा दी गई। वर्ष 1935 में प्रजामण्डल जींद में काम किया तथा दो माह जेल में रहे। आर्य समाज सत्याग्रह में इन्हें नौ माह की कारावास की सजा दी गई।

 

भरत सिंह

 

मोखरा (महम) निवासी भरत सिंह सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान नौ महीने जेल में रहे। वर्ष 1941 में इन्हें व्यक्तिगत रूप से सत्याग्रह में भाग लेने के कारण छ: माह की सजा हुई। इन्होंने जिला कांग्रेस में मन्त्री तथा प्रभाव के पद पर भी कार्य किया। वर्ष 1967 में महम से ये (कांग्रेस के विरोध में) विधानसभा सदस्य बने।

 

बदलुराम

 

इनका जन्म रोहतक के सांघी ग्राम में हुआ था। नमक सत्याग्रह के दौरान इन्हें छः माह जेल की सजा दी गई। सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान इन्होंने 2-3 बार जेल की यात्रा की। 1952 में भी इन्हें विधानसभा का सदस्य चुना गया। वर्ष 1946 के चुनाव में ये रोहतक के महम क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से विधानसभा के सदस्य बने।

 

सन्त वीरभान

 

यन्त उदयदास इनके आध्यात्मिक गुरु थे, जिनसे इन्होंने ज्ञान प्राप्त किया। ज्ञान प्राप्ति के उपरान्त 1542 ई. के लगभग इन्होंने नए सतनामी सम्प्रदाय की स्थापना की। 16वीं सदी के साहित्यकारों में इनका प्रमुख स्थान था। इनकी वाणियों की पुस्तक ग्रन्थ साहब कहलाती है। ये मारनौल के थे।

 

भगवतदयाल शर्मा

 

इनका जन्म बेरी में हुआ था। वर्ष 1941-42 के आन्दोलन में इन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई तथा तीन बार जेल गए। वर्ष 1942 की क्रान्ति में भूमिगत रहकर उन्होंने आन्दोलन में भाग लिया। 1 नवम्बर, 1966 को पृथक् राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद हरियाणा राज्य के प्रथम मुख्यमन्त्री बने।

 

सर छोटूराम

 

इनका जन्म 24 नवम्बर, 1881 को रोहतक के गढ़ी सांपला में हुआ था तथा आगरा विश्वविद्यालय से इन्होंने वकालत का पढ़ाई पूरी की। इन्होंने वर्ष 1916 में रोहतक से उर्दू साप्ताहिक जाट गजट का प्रकाशन किया तथा वर्ष 1924 में जमींदार लीग की स्थापना की। वर्ष 1937 में इन्हें ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। वर्ष 1938 में इनके द्वारा किसानों के अनाज की बिक्री हेतु ‘मार्केटिंग बोर्ड का गठन किया गया।

 

चौधरी देवीलाल

 

इनका जन्म सिरसा जिले के चौटाला गाँव में हुआ था। वर्ष 1930 में अपनी शिक्षा अधूरी छोड़कर ये स्वयंसेवक बन गए। वर्ष 1942 के आन्दोलन में इनकी भूमिका सक्रिय रही तथा इन्हें कारावास की सजा मिली। वर्ष 1952 में ये पंजाब में कांग्रेस के सदस्य बने तथा वर्ष 1962 के चुनाव में कांग्रेस के विरुद्ध चुने गए और विपक्षी दल के नेता बने। हरियाणा राज्य के गठन में इन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार में ये हरियाणा के मुख्यमन्त्री बने तथा वर्ष 1989 में केन्द्रीय सरकार में उप-प्रधानमन्त्री बने। 6 अप्रैल, 2001 में इनका निधन हो गया।

 

लाला सुल्तान सिंह

 

इनका जन्म राज्य के रोहतक जिले में हुआ था। कांग्रेस की ओर इनका झुकाव विद्यार्थी जीवन के समय से ही था। इन्होंने लम्बे समय तक नगर कांग्रेस समिति के कोषाध्यक्ष तथा प्रधान के रूप में काम किया। वर्ष 1930-32 में सुल्तान सिंह ने कांग्रेस के आन्दोलन में राष्ट्रीय रूप से भाग लिया। स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लेने के कारण वर्ष 1940-42 में इन्हें कैद किया गया। इनकी मृत्यु वर्ष 1946 में हो गई।

 

बनारसीदास

 

बनारसीदास का बचपन से ही भारतीय स्वतन्त्रता से गहरा लगाव था। ये वर्ष 1930-31 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान जेल जाने के लिए घर से भाग गए तथा मेरठ के सत्याग्रही शिविर में चले गए। इन्होंने रेवाड़ी में नवयुवक सभा की स्थापना की। वर्ष 1941 में इन्हें व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तार किया गया तथा दो वर्ष की सजा दी गई। वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में इन्हें 2 वर्ष के लिए नजरबन्दी बनाया गया। बाद में कांग्रेस को वैधता मिलने पर इन्हें नगर कांग्रेस का प्रधान बनाया गया।

 

वैद्य लेखराम

 

हरियाणा के इस स्वतन्त्रता सेनानी का जन्म हिसार में हुआ था। ये प्रारम्भ से ही क्रान्तिकारी गतिविधियों में सम्मिलित रहे। भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन की ट्रेन के नीचे रखे गए बम की घटना में ये शामिल थे। उस बम का निर्माण लेखराम ने रोहतक में किया था। इस घटना के बाद इनके पीछे पुलिस पड़ गई, फलस्वरूप ये भूमिगत हो गए तथा भूमिगत रहकर ही क्रान्तिकारी गतिविधियों में लिप्त रहे। अपना नाम बदलकर कई घटनाओं में शामिल हुए। स्वतन्त्रता के पश्चात् राजनीतिक गतिविधियों से स्वयं को अलग कर लिया।

 

कामरेड लक्ष्मनदास

 

ये हरियाणा के रोहतक जिले के रहने वाले थे। ये भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन से बहुत प्रभावित थे, अतः स्वतन्त्रता की लड़ाई में शामिल हो गए। वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान इन्हें एक वर्ष का कारावास हुआ। पुनः वर्ष 1932 में एक वर्ष तक जेल में अपना जीवन व्यतीत किया। वर्ष 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय जेल से बाहर रहे तथा कांग्रेस के कार्यक्रमों का राज्य में संचालन किया। वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में इन्हें 11 महीने की जेल हुई।

 

राव तुलाराम

 

1857 ई. की क्रान्ति के वीर सेनानी थे। इनका जन्म दिसम्बर, 1825 में रेवाड़ी के रामपुरा में राव घराने में हुआ था। इन्होंने घर पर हिन्दी, उर्दू, फारसी, गणित की शिक्षा प्राप्त की। अंग्रेजों ने इनकी रियासत हड़प ली, जिससे नाराज होकर 1867 ई. की क्रान्ति में कूद पड़े। 17 मई, 1857 को इन्होंने रेवाड़ी को स्वतन्त्र करा लिया। बहादुरशाह द्वितीय के आदेश पर इन्होंने दिल्ली के क्रान्तिकारियों की सहायता की तथा इसी दौरान 16 नवम्बर, 1857 को नारनौल में अंग्रेजों के साथ एक युद्ध में हार गए। दिसम्बर, 1861 में काबुल में इनका निधन हो गया।

 

बालमुकुन्द गुप्त

 

इनका जन्म 1865 ई. में झज्जर के गुड़ीयानी में हुआ था। ये महान् देशभक्त, पत्रकार, आलोचक तथा निबन्धकार थे। शिक्षा प्राप्ति के बाद • इन्होंने अपने जीवन की शुरूआत पत्रकारिता से की। 1886-88 ई. तक ‘अखबारे चुनार’ के तथा इसके बाद ‘कोहेनर’ के सम्पादक बने। बाद में वे उर्दू छोड़कर हिन्दी में लिखने लगे। 1889-91 ई. तक ‘हिन्दुस्तान’, 1893-98 ई. तक ‘हिन्द बंगवासी’ तथा 1899-1907 ई. तक ‘भारत मित्र’ से जुड़े’ रहे।

 

लाला चन्द्रभान गुप्ता

 

इनका जन्म 27 जुलाई, 1921 को रोहतक के खैरपुर में हुआ। इन्होंने रक्षा विभाग में नौकरी की, किन्तु वर्ष 1957 के दौरान त्याग-पत्र दे दिया। वर्ष 1945 में वकालत शुरू की तथा वर्ष 1947 में ‘शरणार्थी रिलीफ कमेटी’ के सदस्य बने। वर्ष 1954 में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य तथा अखिल भारतीय कांग्रेस के डेलीगेट बने। इन्हें वर्ष 1962 में पंजाब काउन्सिल का सदस्य चुना गया। वर्ष 1977 में जनता पार्टी के महामन्त्री बने। इन्होंने साप्ताहिक पत्रिका ‘भारत निर्माण’ का सम्पादन किया।

 

मास्टर नान्दू राम

 

गोहना में जन्मे नान्दू राम ने कांग्रेस आन्दोलन से प्रभावित होकर अध्यापक की नौकरी छोड़ दी तथा वर्ष 1930 में जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर इंचार्ज बने। नमक सत्याग्रह के दौरान छः माह की जेल की सजा मिली। असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण एक वर्ष की कारावास की सजा मिली। भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान छ: माह के लिए इन्हें कैद किया गया। वर्ष 1952-57 में पंजाब विधानसभा के लिए सदस्य चुने गए। भारत सरकार ने इन्हें ताम्र-पत्र से सम्मानित किया था।

 

राय बहादुर लाला मुरलीधर

 

इनका जन्म 1848 ई. में पलवल में हुआ था। ये अम्बाला के ख्यातिप्राप्त वकील थे। ब्रिटिश सरकार द्वारा इन्हें ‘रायबहादुर’ तथा ‘केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि प्रदान की गई। ये राज्य में कांग्रेस के संस्थापक सदस्य भी रहे। राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने के कारण इन्हें 1886 ई. में जेल जाना पड़ा। इन्होंने रॉलेट एक्ट के विरोध में वर्ष 1921 में अपनी सभी उपाधियाँ लौटा दीं।’ ये ग्रैण्ड ओल्ड मैन ऑफ पंजाब’ के नाम से भी प्रसिद्ध थे। वर्ष 1922 में इनका निधन हो गया।

 

चौधरी कृपाराम

 

इनका जन्म हिसार के स्याहडवा में 6 दिसम्बर, 1861 को हुआ था। इन्होंने गाँधीजी के आह्वान पर नौकरी छोड़ दी तथा हिसार में गाँधीजी के प्रचारक बन गए। वर्ष 1941 में ये हिसार कांग्रेस के अध्यक्ष बने। भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सेदारी के कारण इन्हें छः माह की कारावास की सजा हुई।

 

पण्डित नेकीराम शर्मा

 

इनका जन्म रोहतक के कैलंगा गाँव में 4 सितम्बर, 1887 को हुआ था। वर्ष 1916 में ये तिलक के स्वराज संघ के सदस्य तथा वर्ष 1920 में डिवीजनल कॉन्फ्रेन्स के सचिव बने जिसमें गाँधीजी सम्मिलित थे। वर्ष 1925-30 तक ये लाला लाजपत राय तथा मदन मोहन मालवीय के साथ रहे। इन्होंने भिवानी से ‘सन्देश’ नामक साप्ताहिक – पत्र निकाला। 8 जून, 1956 को इनकी मृत्यु हो गई।

 

पण्डित श्रीराम शर्मा

 

इनका जन्म 1 अक्टूबर, 1899 को झज्जर में हुआ था। कांग्रेस के सभी पाँच सत्याग्रहों (1922,30,32,41 तथा 1942) में भाग लेने के कारण ये सात वर्षों तक कारावास में रहे। इन्होंने वर्ष 1923 में रोहतक से आजादी के समर्थन में उर्दू और हिन्दी में ‘हरियाणा तिलक नामक साप्ताहिक-पत्र निकाला और ‘हरियाणा का इतिहास’ तथा ‘हरियाणा के नवरत्न’ का लेखन कार्य किया। 17 अक्टूबर, 1989 को ये पंचतत्त्व में विलिन हो गए।

 

लाला श्यामलाल

 

वर्ष 1916 में ये रोहतक कांग्रेस कमेटी के मन्त्री बने तथा वर्ष 1917 में प्रतिनिधि के रूप में इन्होंने कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। इन्होंने वर्ष 1921 में वकालत छोड़ दी। वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण इन्हें 2 वर्ष की जेल हुई। लाहौर षड्यन्त्र केस में ये क्रान्तिकारियों के वकील बने तथा वर्ष 1934 में केन्द्रीय असेम्बली में कांग्रेस के सदस्य बने। 10 जनवरी, 2940 को ये स्वर्गवासी हो गए।

 

लाला दौलतराम गुप्त

 

इनका जन्म रोहतक में हुआ था। ये वर्ष 1916 में रोहतक कांग्रेस कमेटी के सहकारी मन्त्री बने। असहयोग आन्दोलन और नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण इन्हें 6-6 महीने का कारावास हुआ। ये वर्ष 1932 से हरिजन सेवक संघ के कार्य में संलग्न हो गए।

 

राधाकृष्ण वर्मा

 

इन्होंने वर्ष 1920 में भिवानी में ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना की। वर्ष 1930 में यह संस्था अवैध घोषित कर दी गई जिस कारण इन्हें छः माह की सजा हुई। भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लेने के कारण ये 26 जनवरी, 1943 को गिरफ्तार हुए तथा चार माह के लिए जेल गए। ये वर्ष 1955-57 तक भिवानी कांग्रेस के प्रधान रहे।

 

बलदेव सिंह

 

इनका जन्म हुमायूँपुर ग्राम में हुआ था। इन्होंने रोहतक में जाट हाईस्कूल की स्थापना की। असहयोग आन्दोलन के दौरान इन्हें एक वर्ष की सजा दी गई। असहयोग आन्दोलन के दौरान इन्होंने राष्ट्रीय विद्यालय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये वर्ष 1926 के चुनाव में पंजाब काउन्सिल के सदस्य चुने गए।

 

लाला काकाराम

 

इन्होंने वर्ष 1919 में रॉलेट एक्ट के विरुद्ध हड़ताल का आयोजन करवाया था। नमक सत्याग्रह में भागीदारी के कारण इन्हें एक वर्ष की सजा दी गई। वर्ष 1932 में कैथल मण्डी से गिरफ्तार कर इन्हें छः माह की सजा दी गई। वर्ष 1940 में मोतीलाल नेहरू के जन्मदिवस पर । सार्वजनिक भाषण देने के कारण भी इन्हें गिरफ्तार किया गया। भारत विभाजन के बाद ये शरणार्थियों की सेवा में संलग्न हो गए।

 

बाबू दयाल शर्मा

 

इनका जन्म रेवाड़ी के मालपुरा तहसील में हुआ था। मैट्रिक के बाद इन्होंने सहकारिता विभाग में नौकरी की। ये वर्ष 1932 में कांग्रेस में शामिल हो गए तथा इन्होंने पटौदी रियासत में प्रजामण्डल आन्दोलन का नेतृत्व किया। वर्ष 1946 में इन्हेंने पटौदी रियासत के नवाब से टक्कर ली। वर्ष 1952 में कांग्रेस की ओर से ये पंजाब विधानसभा के सदस्य बने।

 

पण्डित अमीलाल

 

इनका जन्म जींद के खाण्डाखेड़ी ग्राम में हुआ था। इन्होंने वर्ष 1929 में गाँधीजी के निवास स्थान पर 10 दिन स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया। इन्हें सविनय अवज्ञा के दौरान बुआना ग्राम (दिल्ली) से गिरफ्तार कर छः माह की जेल की सजा दी गई। वर्ष 1935 में प्रजामण्डल जींद में काम किया तथा दो माह जेल में रहे। आर्य समाज सत्याग्रह में इन्हें नौ माह की कारावास की सजा दी गई।

 

भरत सिंह

 

मोखरा (महम) निवासी भरत सिंह सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान नौ महीने जेल में रहे। वर्ष 1941 में इन्हें व्यक्तिगत रूप से सत्याग्रह में भाग लेने के कारण छ: माह की सजा हुई। इन्होंने जिला कांग्रेस में मन्त्री तथा प्रभाव के पद पर भी कार्य किया। वर्ष 1967 में महम से ये (कांग्रेस के विरोध में) विधानसभा सदस्य बने।

 

बदलुराम

 

इनका जन्म रोहतक के सांघी ग्राम में हुआ था। नमक सत्याग्रह के दौरान इन्हें छः माह जेल की सजा दी गई। सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान इन्होंने 2-3 बार जेल की यात्रा की। 1952 में भी इन्हें विधानसभा का सदस्य चुना गया। वर्ष 1946 के चुनाव में ये रोहतक के महम क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से विधानसभा के सदस्य बने।

 

सन्त वीरभान

 

यन्त उदयदास इनके आध्यात्मिक गुरु थे, जिनसे इन्होंने ज्ञान प्राप्त किया। ज्ञान प्राप्ति के उपरान्त 1542 ई. के लगभग इन्होंने नए सतनामी सम्प्रदाय की स्थापना की। 16वीं सदी के साहित्यकारों में इनका प्रमुख स्थान था। इनकी वाणियों की पुस्तक ग्रन्थ साहब कहलाती है। ये मारनौल के थे।

 

भगवतदयाल शर्मा

 

इनका जन्म बेरी में हुआ था। वर्ष 1941-42 के आन्दोलन में इन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई तथा तीन बार जेल गए। वर्ष 1942 की क्रान्ति में भूमिगत रहकर उन्होंने आन्दोलन में भाग लिया। 1 नवम्बर, 1966 को पृथक् राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद हरियाणा राज्य के प्रथम मुख्यमन्त्री बने।

 

सर छोटूराम

 

इनका जन्म 24 नवम्बर, 1881 को रोहतक के गढ़ी सांपला में हुआ था तथा आगरा विश्वविद्यालय से इन्होंने वकालत का पढ़ाई पूरी की। इन्होंने वर्ष 1916 में रोहतक से उर्दू साप्ताहिक जाट गजट का प्रकाशन किया तथा वर्ष 1924 में जमींदार लीग की स्थापना की। वर्ष 1937 में इन्हें ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। वर्ष 1938 में इनके द्वारा किसानों के अनाज की बिक्री हेतु ‘मार्केटिंग बोर्ड का गठन किया गया।

 

चौधरी देवीलाल

 

इनका जन्म सिरसा जिले के चौटाला गाँव में हुआ था। वर्ष 1930 में अपनी शिक्षा अधूरी छोड़कर ये स्वयंसेवक बन गए। वर्ष 1942 के आन्दोलन में इनकी भूमिका सक्रिय रही तथा इन्हें कारावास की सजा मिली। वर्ष 1952 में ये पंजाब में कांग्रेस के सदस्य बने तथा वर्ष 1962 के चुनाव में कांग्रेस के विरुद्ध चुने गए और विपक्षी दल के नेता बने। हरियाणा राज्य के गठन में इन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार में ये हरियाणा के मुख्यमन्त्री बने तथा वर्ष 1989 में केन्द्रीय सरकार में उप-प्रधानमन्त्री बने। 6 अप्रैल, 2001 में इनका निधन हो गया।

 

error: Content is protected !!